विदर्भ में किसानों की आत्महत्याओं में कोई कमी नहीं आ रही है. रविवार को भले ही पुणे विस्फोट के कारण वेलेण्टाइन डे का शोर न हुआ हो लेकिन महाराष्ट्र के ही विदर्भ इलाके में इसी िदन पांच किसानों ने आत्महत्या कर ली.
विदर्भ के किसानों पर काम करनेवाली संस्था विदर्भ जन आंदोलन समिति द्वारा जारी एक प्रेस विज्ञप्ति में बताया गया है कि 14 फरवरी को पांच किसानों ने आत्महत्या कर ली. इन किसानों के नाम हैं- सुनील देशमुख, नेर (यवतमाल), सचिन लोखण्डे, केवलत (अमरावती), बालकृष्ण वाखोडे, दानापीर (अकोला), मनकारा बाई, अंटारी (अकोला) और गुलाबराव, बुल्ढाणा के किसान हैं. समिति द्वारा जारी विज्ञप्ति में आत्महत्या के कारणों के बारे में बताया गया है कि पूरा विदर्भ सूखे की चपेट में है और पूरे विदर्भ में किसान आत्महत्याएं कम होने का नाम नहीं ले रही हैं. पिछले पांच दिन में 16 किसान आत्महत्या कर चुके हैं जो अमरावती, बुल्ढाणा, अकोला और वर्धा के हैं.
विदर्भ के 14000 गांव सूखे की चपेट में हैं और सरकारी सहायता पूरी तरह से निल है. विदर्भ जन आंदोलन समिति के अध्यक्ष किशोर तिवारी का कहना है कि किसानों की खेती चौपट हो गयी है और उनके लिए खाने पीने का कोई इंतजाम नहीं है. न तो पशुओं के लिए चारे की व्यवस्था हो पा रही है और न ही इंसानों के लिए भोजन की. किशोर तिवारी का कहना है कि इस साल की परिस्थितियां 2006 की स्थिति से भी भयानक है जब प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने विदर्भ का दौरा किया था. किशोर तिवारी का कहना है कि इतनी विषम परिस्थिति होने के बावजूद सरकार का इस समस्या की ओर कोई ध्यान नहीं है.
विदर्भ में सूखे की चपेट में अब तक 40 हजार से अधिक किसान आत्महत्या कर चुके हैं. समिति का कहना है कि यह आंकड़ा तो सरकारी है, वास्तविकता इससे और अधिक भयानक है.
विदर्भ के किसानों पर काम करनेवाली संस्था विदर्भ जन आंदोलन समिति द्वारा जारी एक प्रेस विज्ञप्ति में बताया गया है कि 14 फरवरी को पांच किसानों ने आत्महत्या कर ली. इन किसानों के नाम हैं- सुनील देशमुख, नेर (यवतमाल), सचिन लोखण्डे, केवलत (अमरावती), बालकृष्ण वाखोडे, दानापीर (अकोला), मनकारा बाई, अंटारी (अकोला) और गुलाबराव, बुल्ढाणा के किसान हैं. समिति द्वारा जारी विज्ञप्ति में आत्महत्या के कारणों के बारे में बताया गया है कि पूरा विदर्भ सूखे की चपेट में है और पूरे विदर्भ में किसान आत्महत्याएं कम होने का नाम नहीं ले रही हैं. पिछले पांच दिन में 16 किसान आत्महत्या कर चुके हैं जो अमरावती, बुल्ढाणा, अकोला और वर्धा के हैं.
विदर्भ के 14000 गांव सूखे की चपेट में हैं और सरकारी सहायता पूरी तरह से निल है. विदर्भ जन आंदोलन समिति के अध्यक्ष किशोर तिवारी का कहना है कि किसानों की खेती चौपट हो गयी है और उनके लिए खाने पीने का कोई इंतजाम नहीं है. न तो पशुओं के लिए चारे की व्यवस्था हो पा रही है और न ही इंसानों के लिए भोजन की. किशोर तिवारी का कहना है कि इस साल की परिस्थितियां 2006 की स्थिति से भी भयानक है जब प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने विदर्भ का दौरा किया था. किशोर तिवारी का कहना है कि इतनी विषम परिस्थिति होने के बावजूद सरकार का इस समस्या की ओर कोई ध्यान नहीं है.
विदर्भ में सूखे की चपेट में अब तक 40 हजार से अधिक किसान आत्महत्या कर चुके हैं. समिति का कहना है कि यह आंकड़ा तो सरकारी है, वास्तविकता इससे और अधिक भयानक है.
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