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Friday, January 30, 2009

what and where is palestine

What and Where is Palestine

Historic Palestine is located in the Middle East, in a region bordering Lebanon, Syria, Jordan, Egypt and the Mediterranean Sea. Part of the Ottoman (Turkish) Empire until 1918, it was then occupied by Britain until 1948. The Palestinians refused the UN plan to partition their homeland into a Jewish and a Palestinian state, but in 1948 the establishment of the state of Israel was unilaterally declared. By 1949, the Nakba (“catastrophe”) had resulted in the ethnic cleansing of two thirds of the Palestinian population and the Israeli occupation of 78 per cent of the land.
The West Bank and Gaza Strip have been under an illegal Israeli military rule since they were occupied in the 1967 war, and today are referred to as the “Palestinian Occupied Territories”. East Jerusalem was also annexed illegally by Israel in 1967. For 60 years the Palestinians have been denied the right to self-determination and statehood.
The refugee issue
About 800,000 Palestinians were forced into exile in 1948-9 and during the June 1967 war a further 325,000 Palestinians became refugees. Under UN Resolution 194, the Palestinians have the right to return to their homes, but Israel has always refused to implement the Resolution. Today over 6 million Palestinians live as refugees, hundreds of thousands of whom still live in overcrowded refugee camps in the West Bank and Gaza, and in Lebanon, Syria and Jordan.Life under occupation
The past 40 years have seen the establishment of over 200 illegal Israeli settlements, housing nearly 500,000 settlers, within the Occupied Territories. The ‘separation barrier’ in the West Bank, construction of which was started in 2002, cuts deep into Palestinian land and, along with the “settler only” roads, cuts off many communities from water supplies, hospitals and their agricultural land. The residents face severe travel restrictions and for many it is impossible to enter Jerusalem or to travel abroad. This treatment of the Palestinians, both within Israel and in the Occupied Territories, is widely recognised as a system akin to the Apartheid regime of South Africa.

Palestinians are continually under attack from the Israeli occupying forces and are increasingly harassed by settlers, who attack farmers and steal their land. Collective punishments, such as prolonged curfews and house demolitons are frequently imposed.

The Palestinians who remained in what is today the state of Israel, as non-Jewish members of a Jewish country, also face discrimation in all areas of Palestine and are considered to be second class citizens.Sign the petitions:We are asking supporters to write to their MPs urgently about the situation in Gaza.

गांधी को गाली देने से पहले.....!!

Friday, January 30, 2009

गांधी को गाली देने से पहले...
1948: The news of Gandhi's assassination hits the streets. A stunned crowd gathers in Calcutta. बरसों से गांधी के बारे में बहुत सारे विचार पढता चला आ रहा हूँ! अनेक लोगों के विचार तो गाँधी को एक घटिया और निकृष्ट प्राणी मानते हुए उनसे घृणा तक करते हैं!! गांधीजी ने भारत के स्वाधीनता आन्दोलन के लिए कोई तैंतीस सालों तक संघर्ष किया। उनके अफ्रीका से भारत लौटने के पूर्व भारत की राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक परिस्थितियां क्या थीं, भारत एक देश के रूप में पिरोया हुआ था भी की नहीं, इक्का-दुक्का छिट-पुट आन्दोलन को छोड़कर (एकमात्र 1857 का ग़दर बड़ा ग़दर हुआ था तब तक) कोई भी संघर्ष या उसकी भावना क्या भारत के नागरिकों में थी, या उस वक्त भारत का निवासी भारत शब्द को वृहत्तर सन्दर्भों में देखता भी था अथवा नहीं, या उस वक्त भारत नाम के इस सामाजिक देश में राजनीतिक चेतना थी भी कि नहीं, या इस देश में देश होने की भावना जन-जन में थी भी कि नहीं !! इक बनी-बनाई चीज़ में तो आलोचना के तमाम पहलु खोजे जा सकते हैं, चीज़ बनाना दुष्कर होता है, महान लोग यही दुष्कर कार्य करने का बीड़ा लेते हैं और बाकी के लोग उस कार्य की आलोचना!! लेकिन सवाल ये नहीं है, सवाल तो ये है कि मैदान में खेल होते वक्त या तो आप खिलाड़ी हों या अंपायर-रेफरी हों या कम-से-कम दर्शक तो हों.!! या किसी भी माध्यम से उस खेल का हिस्सा तो हों! अब बेशक पकी-पकाई रोटी में आप सौ दुर्गुण देख सकते हों, सच तो यह भी है कि ये भी भरे पेट में ही सम्भव है। खाली पेट में तो यही आपके लिए अमृत-तुल्य होती है। मेरी बात आपके द्वारा समझी जा रही होगी, क्यूंकि इधर मैं लगातार देखता आ रहा हूँ कि गांधी को गाली देने वाले लोगों कि संख्या बढती ही चली जा रही है, क्यूँ भई आप कौन हो "उसे" गाली देने वाले? एक मोहल्ले के रूप में भी ख़ुद को बाँध कर ना रख सकने वाले आप, सूटेड-बूटेड होकर रहने वाले आप, इंगरेजी या हिंग्रेजी बोलने वाले आप, अपने बाल-बच्चों में खोये रहने वाले आप, अपने हित के लिए देश का टैक्स खाने वाले आप, तरह-तरह की चोरियां-बेईमानियाँ करने वाले आप, अपने अंहकार के पोषण के लिए किसी भी हद तक गिर जाने वाले आप, बच्चों, गरीबों, मजलूमों का बेतरह शोषण करने वाले आप, स्त्रियों को दोयम दर्जे का समझने वाले आप और भी न जाने क्या-क्या करने वाले आप। आप कौन हैं भाई?आपकी गांधी के पासंग औकात भी क्या है? आप गांधी के साथ इक पल भी रहे हो क्या? आपने गांधी के काल की परिस्थितियों का सत्संग का इक पल भी जीया है क्या? क्या आप घर तक को एकजुट कर सकते हो? उसे मोतियों की तरह पिरो सकते हो? सच तो यह है कि इस लेखक की भी गांधी नाम के सज्जन से बहुत-बहुत-बहुत सी "खार" है कि गांधी नाम का ये महापुरुष मीडिया में आए विमर्शों के अनुसार विक्षिप्त था, औरतों के साथ सोता था, पत्नी को पीटता था, पुत्र के साथ भी उचित व्यवहार नहीं करता था, ऐसी बहुत सारी अन्य बातें, जिनका स्त्रोत मीडिया ही है, के माध्यम से मैं भी खार खाने लगा हूँ, लेकिन मैं नहीं जानता कि और मुझे कोई यह बता भी नहीं सकता कि यह सब कितना कुछ सच है और इस सबके भीतर असल में क्या है? जो भी हो, मगर इतना अवश्य जानता हूँ कि "गांधी" नाम के इस शख्स के सम्मुख मैं क्या हूँ! आराम की जिन्दगी जीते हुए हम सब आजाद और "आजादखयाल" लोग किसी भी चीज़ को बिल्कुल भी गंभीरता से ना समझने वाले हमलोग और अतिशय गंभीरता का दंभ भरने वाले हमलोग, परिस्थितियों का आकलन मन-मर्जी या मनमाने ढंग करने वाले हमलोग, किसी अन्य की बात या तथ्य की छानबीन ना कर उसी के आधार पर अन्वेषण कर परिणाम स्थापित करने वाले हम लोग!! मैं अक्सर सोचता हूँ कि बिन औकात के हम लोग किसी के भी बारे में ऐसा कैसे कह सकते हैं। खासकर उस व्यक्ति के बारे में जिसके सर के इक बाल के बराबर भी हम नहीं। एक चोर भी अगर जिसने अपने समाज में कोई अमूल्य योगदान दिया है और हमने अगर सिवाय अपने पेट भरने के जिन्दगी में और कुछ भी नहीं किया तो बागवान की खातिर हमें उस चोर की बाबत चुप ही बैठना चाहिए और अगरचे वो गांधी नाम का व्यक्ति हो तो सौ जनम भी हम उसके बारे में कुछ भी बोलने के हकदार नहीं। मैं आपको बता दूँ कि गाँधी सिर्फ़ इक व्यक्ति का नाम नहीं, एक देशीय चेतना का नाम है, एक ब्रहमांडइय चेतना का नाम है, एक सूरज हैं वो जो बिन लाग-लपेट के सबको रौशनी देता है। उनके बहुत सारे विचारों का विरोध करते हुए मैं पाता हूँ कि मैं उनके सामने एक कीडा हूँ। मैं चाहे जो कुछ भी उनके बारे में कह लूँ, सच तो यही है कि मैंने और ऐसा कहने वाले तमाम लोगों ने कभी कुछ रचा ही नहीं। देश की आजादी तो दूर, आज़ाद देश में अपने मोहल्ले की गंदगी को साफ़ कराने का कभी बीडा नहीं उठाया। गली-चौक-चौराहों-पत्र-पत्रिकाओं-मीडिया-टी.वी. आदि में बक-बक करना और बात है, और सही मायनों में अपने समाज के लिए कुछ भी योगदान करना और बात। मेरी बोलती यहीं आकर बंद हो जाती है। दोस्तों किसी पर चीखने-चिल्लाने से पहले हम यह भी सोच लें कि हम क्या हैं और किसके बारे में किसकी बात पर चीख रहे हैं!! गांधी को गरियाने की औकात रखने वाले हम यह भी तो नहीं जानते कि अगर गांधी हमारे सामने होते तो हमें भी माफ़ करते। ऐसे लोग पहले किसी स्वच्छ तालाब में अपना मुंह धोकर आयें और अपनी आत्मा की गहराई से ये महसूस करें कि राम क्या है। किसी की भी आलोचना करने से पूर्व और अगर वो व्यक्ति देश के लिए अपना जीवन आत्मोसर्ग कर के गया हो!! आज गांधी जी की पुण्यतिथि है। इस पुण्यतिथि पर हम अवश्य ये सोच कर देखें कि आज जिसकी पुण्यतिथि हम मना रहे हैं, उसे याद कर रहे हैं और आने वाले तमाम वर्ष याद करेंगे, बजाय इसके हमारी पुण्यतिथि पर हमें याद करने वाले लोग कितने होंगे?